खेत में बाघ आने की सूचना फैल गई और तमाम ग्रामीण लाठी डंडों और धारदार हथियारों से लैस होकर वहां पहुंच गए थे।
मानव-बाघ संघर्ष के दौरान बुरी तरह घायल हुई बाघिन ने बुधवार देर रात दम तोड़ दिया। संघर्ष की घटना के बाद देर शाम चिकित्सकों की टीम मौके पर पहुंचने का दावा करने वाला टाइगर रिजर्व प्रशासन घायल बाघिन का समय पर उपचार ही नहीं करा सका। बाघ संरक्षण दिवस से चार दिन पहले हुई इस घटना ने पीटीआर प्रशासन की घोर लापरवाही को उजागर कर दिया है।
यह है पूरा मामला
पूरनपुर तहसील के घुंघचाई क्षेत्र में टाइगर रिजर्व के दियोरिया रेंज जंगल से सटी मटेहना कॉलोनी नंबर निवासी किसान श्याम मोहन बुधवार को अपने खेत पर छुट्टा पशुओं से फसल की सुरक्षा के लिए बाड़ लगा रहा था। इसी दौरान निकट की झाड़ियों में पहले से छिपी बैठी बाघिन ने अचानक उस पर हमला कर दिया। वही चीखा तो अन्य किसान उसे बचाने दौड़ पड़े। इस बीच श्याम मोहन घायल हो गया।
नौ लोग हुए थे घायल, धारदार हथियाराें से किय हमला
खेत में बाघ आने की सूचना फैल गई और तमाम ग्रामीण लाठी, डंडों और धारदार हथियारों लेकर वहां पहुंच गए थे। बाघ को भगाने का प्रयास किया गया तो वह हमलावर हो गया। बाघ ने ग्रामीणों के झुंड पर हमला करके नौ लोगों को घायल दिया। इससे गुस्साई ग्रामीणों की भीड़ ने बाघ की घेराबंदी करके ताबड़तोड़ उस पर लाठियों से प्रहार किए। इससे बुरी तरह घायल हुआ बाघ जंगल की ओर भाग खड़ा हुआ।
पीलीभीत टाइगर रिजर्व ने डॉक्टरों की टीम भेजना का किया था दावा
देर शाम पीटीआर के फील्ड डायरेक्टर एच. राजामोहन ने जागरण से बातचीत के दौरान घायल बाघ के इलाज के लिए चिकित्सकों की टीम मौके पर पहुंच जाने की बात कही लेकिन देर रात तक भी टीम वहां नहीं पहुंची। इस दौरान रात करीब दो बजे घायल बाघ की मौत हो गई। बाघ संरक्षण दिवस से महज चार दिन पहले हुई इस घटना ने पीटीआर में बाघों की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।
बाघ नहीं बाघिन पर ग्रामीणों ने किया था हमला
फील्ड डायरेक्टर ने बताया कि ग्रामीणों के हमले में मरने वाली बाघिन है। जिसकी उम्र सात-आठ साल के बीच है। पीटीआर में मृतक बाघिन के गर्भवती होने की बात कही जा रही है लेकिन फील्ड डायरेक्टर का मानना है कि इस बारे में पोस्टमार्टम से ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। पीटीआर की माला रेंज में ही मृतक बाघिन के शव का तीन डॉक्टरों के पैनल द्वारा पोस्टमार्टम किया जाएगा।