नए कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन में उत्तर प्रदेश के कई जिलों के किसानों ने अपना झंडा बुलंद कर रखा। किसानों को नए कृषि कानून को समझाने के लिए यूपी सरकार ने अपनी कमर कस ली है। और एक नई योजना बनाई है। इसके तहत अब योगी सरकार ने किसानों को समझाने के लिए रविवार से वरिष्ठ अफसरों को मैदान में उतारा है। इन 12 अफसरों को अलग अलग जिलों की कमान सौंपी गई है। ये सभी सीनियर अफसर इन जिलों में किसानों से मिलेंगे और उन्हें समझाएंगे। जिलों में तीन दिन तक डेरा डालने के बाद अपनी प्रगति रिपोर्ट 30 दिसम्बर को सरकार को देंगे।किसान मुद्दे पर शनिवार को लोकभवन में हुई बैठक में सीएम योगी आदित्यनाथ ने निर्देश जारी किया कि, प्रत्येक जिले में अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव व सचिव स्तर के अफसरों को नोडल अधिकारी के रूप में नामित किया जाए। इसके तहत रविवार से अपर मुख्य सचिव पंचायतीराज मनोज कुमार सिंह लखनऊ, अपर मुख्य सचिव चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास संजय एस. भूसरेड्डी गोरखपुर और अपर मुख्य सचिव कृषि देवेश चतुर्वेदी वाराणसी पहुंच जाएंगे।

किसान संगठनों से वार्ता: मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी ने अफसरों की जिलों में तैनाती के साथ भ्रमण का एजेंडा जारी कर दिया। एजेंडे में किसान आंदोलन का जिक्र नहीं है पर, किसान संगठनों से वार्ता करने के उल्लेख से माना जा रहा है कि अधिकारी उन्हें केंद्र व राज्य सरकार के स्तर से उनके लिए उठाए गए कदमों की जानकारी देंगे। नोडल अफसर 30 दिसंबर को अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपेंगे।अफसर के नाम और जिलें :- जिन अफसरों को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है उनके नाम और जिले इस प्रकार हैं। लखनऊ, मनोज सिंह अपर मुख्य सचिव पंचायती राज और ग्राम्य विकास, गोंडा-आलोक सिन्हा, कृषि उत्पादन आयुक्त, रायबरेली-आलोक टंडन, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त, बहराइच- एसबीएस रंगराव, मंडलायुक्त देवीपाटन, श्रावस्ती-आमोद कुमार, प्रमुख सचिव नियोजन, अयोध्या-टी वेंकटेश, अपर मुख्य सचिव सिंचाई एवं जल संसाधन, अंबेडकरनगर-एमपी अग्रवाल, मंडलायुक्त अयोध्या, बाराबंकी- एस.राधा चौहान, अपर मुख्य सचिव व्यावसायिक एवं प्राविधिक शिक्षा, सुल्तानपुर- रेणुका कुमार, अपर मुख्य सचिव राजस्व एवं बेसिक शिक्षा, अमेठी-मोनिका एस गर्ग, अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा, सीतापुर-मिनिस्ती एस, आयुक्त खाद्य सुरक्षा एवं ओषधि प्रसाधन।
इन समस्याओं पर भी गौर करेंगे ये 12 नोडल अफसर जिलों में गन्ना-धान खरीद केंद्र, निराश्रित गोशालाओं को जांचेंगे और समस्याओं पर गौर करेंगे। सिंचाई, नहरों में पानी, बिजली आपूर्ति, वरासत अभियान, पुलिस संबंधी शिकायतों की भी समीक्षा करेंगे। धान खरीद में किसी तरह की शिकायत व जांच में पुष्टि होने पर जिम्मेदार कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई के भी निर्देश हैं।