भदोही ,ज्ञानपुर, चौरी सोमवार को देवीभक्तों का महापर्व नवरात्र समाप्त हो गया। भक्तजनों द्वारा माता दुर्गा के नौवें स्वरुप सिद्धिदात्री की पूजा बड़े ही आस्था व भक्ति के साथ की गयी। तदुपरांत हवन व माता दुर्गा के निमित्त स्थापित कलश का विसर्जन भी किया गया। ऐसा माना जाता है कि नवदुर्गाओं में माँ सिद्धिदात्री अंतिम स्वरुप हैं। अन्य आठ दुर्गाओं की पूजा उपासना शास्त्रीय विधि-विधान के अनुसार करते हुए भक्त दुर्गा पूजा के नौवें दिन इनकी उपासना में प्रवृत्त होते हैं। इन सिद्धिदात्री माँ की उपासना पूर्ण कर लेने के बाद भक्तों और साधकों की लौकिक, पारलौकिक सभी प्रकार की कामनाओं की पूर्ति हो जाती है। सिद्धिदात्री माँ के कृपापात्र भक्त के भीतर कोई ऐसी कामना शेष बचती ही नहीं है, जिसे वह पूर्ण करना चाहे। वह सभी सांसारिक इच्छाओं, आवश्यकताओं और स्पृहाओं से ऊपर उठकर मानसिक रूप से माँ भगवती के दिव्य लोकों में विचरण करता हुआ उनके कृपा-रस-पीयूष का निरंतर पान करता हुआ, विषय-भोग-शून्य हो जाता है। माँ भगवती का परम सान्निध्य ही उसका सर्वस्व हो जाता है। इस परम पद को पाने के बाद उसे अन्य किसी भी वस्तु की आवश्यकता नहीं रह जाती। माँ के चरणों का यह सान्निध्य प्राप्त करने के लिए भक्त को निरंतर नियमनिष्ठ रहकर उनकी उपासना करने का नियम कहा गया है। ऐसा माना गया है कि माँ भगवती का स्मरण, ध्यान, पूजन, हमें इस संसार की असारता का बोध कराते हुए वास्तविक परम शांतिदायक अमृत पद की ओर ले जाने वाला है। विश्वास किया जाता है कि इनकी आराधना से भक्त को अणिमा, लधिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, महिमा, ईशित्व, सर्वकामावसायिता, दूर श्रवण, परकामा प्रवेश, वाकसिद्ध, अमरत्व भावना सिद्धि आदि समस्त सिद्धियों नव निधियों की प्राप्ति होती है। ऐसा कहा गया है कि यदि कोई इतना कठिन तप न कर सके तो अपनी शक्तिनुसार जप, तप, पूजा-अर्चना कर माँ की कृपा का पात्र बन सकता ही है। माँ की आराधना के लिए इस श्लोक का प्रयोग होता है। माँ जगदम्बे की भक्ति पाने के लिए इसे कंठस्थ कर नवरात्रि में नवमी के दिन इसका जाप करने का नियम है।
हवन-पूजन के बाद कुंवारी कन्याओं को कराया गया भोजन
ज्ञानपुर। माता दुर्गा के हवन व पूजन के बाद देवी मां के भक्तों के द्वारा कन्याओं को भोजन कराया गया। इसी क्रम में मोढ़ डीह पुरानी बाजार में देवीभक्तों के द्वारा कुंवारी कन्याओं को अपनी मनोकामना के पूर्ति हेतु उनकी भी पूजा कर उन्हें बडे ही भाव के साथ भोजन कराया गया। वहां के निवासियों की माने तो माता रानी के हवन के बाद जबसे यह प्रक्रिया कर रहे है तबसे क्षेत्र में शांति बनी रहती है। एक देवी भक्त अमृता सिंह ने बताया कि हम लोग पूरी श्रद्धा के साथ नवरात्र के समय नौ दिनों तक व्रत रहकर माता रानी की पूजा करते है उसके पश्चात कुंवारी कन्याओं का भी पंचोपचार पूजन कर उन्हें खिलाते है। हमारे कांवल प्रतिनिधि के अनुसार नवयुवक मां दुर्गा श्रृंगार समिति कांवल के सदस्यों के द्वारा माता दुर्गा के पूजन व हवन के बाद कुंवारी कन्याओं का संक्षिप्त पूजन कर उन्हें भोजन कराया गया।